Tum Prem Ho Bhajan: “तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो मनमीत हो राधे” भजन श्री राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम और अद्वितीय आत्मिक मिलन का मधुर वर्णन करता है। इसमें राधे-श्याम के बीच अद्भुत भावों, भक्ति, और आत्मिक एकता का चित्रण है। भजन में श्रीकृष्ण के मधुर बांसुरी के स्वर, राधा के प्रेम, और उनके मन की नीतियों का अनुपम संगम है।
साथ ही इसमें भक्त के समर्पण और परमात्मा के स्पर्श की अनुभूति को भी गहराई से दर्शाया गया है। भजन की पंक्तियां राधा-कृष्ण के शाश्वत प्रेम को हृदयस्पर्शी भावों में बांधती हैं, और श्रोताओं को भक्ति भाव में लीन कर देती हैं।

🌸 🌺तुम प्रेम हो | Tum Prem Ho Bhajan🌸 🌺
तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो,
मेरी बासुरी का गीत।
तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो,
मनमीत हो राधे, मेरी मन नीत।
तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो,
मनमीत हो राधे, मेरी मन नीत।
तुम प्रेम हो, तुम गीत हो,
मेरी बासुरी का गीत।
बासुरी का गीत।
हो, परमात्मा का स्पर्श हो।
राधे, परमात्मा का स्पर्श हो,
पुलकित हृदय का हर्ष हो।
परमात्मा का स्पर्श हो,
पुलकित हृदय का हर्ष हो।
तुम हो समर्पण का शिखर,
तुम ही मेरा उत्कर्ष हो।
तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो,
मेरी भावना की तुम राधे,
जीत हो।
तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो,
मेरी बासुरी का गीत हो।
हूं मैं जहां, तुम हो वहां… राधे।
हूं मैं जहां, तुम हो वहां,
तुम बिन नहीं है कुछ यहां।
मुझ में धड़कती हो तुम्ही,
मुझ में धड़कती हो तुम ही।
तुम दूर मुझसे हो कहां,
तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो,
मनमीत हो राधे, मेरी मन मीत।
तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो,
मेरी बासुरी का गीत हो।
नागर मोहन धारी,
नागर मोहन गिरिधारी।
राधा रानी बाट तुम्हारी,
राधा रानी बाट हरी।
राधा कृष्णा, राधा कृष्णा,
राधा कृष्णा, राधा कृष्णा।
🌸 🌺राधा कृष्णा, राधा कृष्णा।🌸 🌺