तन तर ना सकेगा मूर्ख प्राणी राम के बिना – भजन

Tan Tar Na Sakega Murkh Prani Ram Ke Bina : यह भजन भक्ति और आध्यात्मिकता से परिपूर्ण है, जो प्रभु राम की महिमा और उनके प्रति श्रद्धा को व्यक्त करता है। इसमें यह संदेश दिया गया है कि जीवन में सच्चा सुख और शांति केवल भगवान राम के नाम से ही प्राप्त हो सकती है।

भजन के बोल सरल, लेकिन गहरे अर्थ वाले हैं। यह विभिन्न दृष्टांतों के माध्यम से जीवन के उन पहलुओं को उजागर करता है, जो ईश्वर के बिना अधूरे हैं।

तन तर ना सकेगा मूर्ख प्राणी राम के बिना

तन तर ना सकेगा मूर्ख प्राणी, राम के बिना।
सुख पा ना सकेगा जीवन भर, सुख धाम के बिना।
सुख पा ना सकेगा जीवन भर, सुख धाम के बिना।
तन तर ना सकेगा मूर्ख प्राणी, राम के बिना।

बिन पानी के नाव चले ना, घी बिन दीप जले।
बिन पानी के नाव चले ना, घी बिन दीप जले।

नारी सुहागन नहीं लगे, जब तक ना मांग भरे।
नारी सुहागन नहीं लगे, जब तक ना मांग भरे।

नीलकंठ कोई हो ना सका, विषपान के बिना।

सुख पा ना सकेगा जीवन भर, सुख धाम के बिना।
सुख पा ना सकेगा जीवन भर, सुख धाम के बिना।
तन तर ना सकेगा मूर्ख प्राणी, राम के बिना।

चंदन बिना ललाट ना सोहे, योगी ज्ञान बिना।
चंदन बिना ललाट ना सोहे, योगी ज्ञान बिना।
जो धनवान ना शोभित हो पाता, दान बिना।
जो धनवान ना शोभित हो पाता, दान बिना।

तीरथ व्रत बेकार सभी, हरि नाम के बिना।
सुख पा ना सकेगा जीवन भर, सुख धाम के बिना।
सुख पा ना सकेगा जीवन भर, सुख धाम के बिना।

तन तर ना सकेगा मूर्ख प्राणी, राम के बिना।

🌸जय श्रीराम!🌸

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