Ram Siya Ram Chaupai: “राम सियाराम सियाराम जय जय राम” — यह केवल एक भजन नहीं, प्रभु श्रीराम और माता सीता के चरणों में समर्पण की वह वाणी है, जो हर भक्त के मन को छू जाती है। इस स्तुति की हर पंक्ति हमें भगवान के नाम, उनकी महिमा और उनके प्रति सच्चे प्रेम का स्मरण कराती है।
यह स्तुति हमें सिखाती है कि राम का नाम ही संकटों से उबारता है, सीता-राम के चरणों में भक्ति ही सच्चा सुख है, और सत्संग व विवेक ही मोक्ष का मार्ग है। इसमें गुरु की महिमा, हरि की व्यापकता और मानवता के मूल सिद्धांतों की सरल, लेकिन गूढ़ अभिव्यक्ति है।
हर अंतरे के बाद दोहराया गया “राम सियाराम, सियाराम जय जय राम” नाम-स्मरण केवल शांति नहीं देता, बल्कि अंतरात्मा को प्रभु से जोड़ता है। यह स्तुति भक्तिकाल की परंपरा से जुड़ी हुई है और इसमें लोकभाषा की मधुरता है, तुलसीदासजी की शैली की सहजता है, और भावों में वह मिठास है जो केवल हृदय से निकलती है।

🌷🌷राम सियाराम | Ramayan Siddh Chaupai Bhajan🌷🌷
सिया राम मय सब जग जानी,
करहु प्रणाम जोरी जुग पानी।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
मंगल भवन अमंगल हारी,
द्रबहु सुदशरथ अजर बिहारी।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
दीन दयाल बिरिदु संभारी,
हरहु नाथ मम संकट भारी।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
सीता राम चरन रति मोरे,
अनुदिन बढ़उ अनुग्रह तोरे।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
सनमुख होइ जीव मोहि जबही,
जन्म कोटि अघ नासहिं तबही।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
अब प्रभु कृपा करहु एहि भाँती,
सब तजि भजनु करौं दिन राती।।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
मंगल मूर्ति मारुती नंदन,
सकल अमंगल मूल निकंदन,
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
बिनु सत्संग विवेक न होई,
रामकृपा बिनु सुलभ न सोई।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
होइ बिबेकु मोह भ्रम भागा,
तब रघुनाथ चरन अनुरागा।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
उमा कहउँ मैं अनुभव अपना,
सत हरि भगति जगत सब सपना।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
हरि ब्यापक सर्बत्र समाना,
प्रेम तें प्रगट होहिं मैं जाना।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
बंदऊँ गुरु पद पदुम परागा,
सुरुचि सुबास सरस अनुरागा।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
देह धरे कर यह फल भाई,
भजिअ राम सब काम बिहाई।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
मन क्रम बचन छाड़ि चतुराई,
भजत कृपा करिहहिं रघुराई।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
पर हित सरिस धर्म नहिं भाई,
पर पीड़ा सम नहिं अधमाई।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
जहाँ सुमति तहाँ सम्पति नाना,
जहाँ कुमति तहाँ बिपति निदाना।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
कबि न होउँ नहिं चतुर कहावउँ,
मति अनुरूप राम गुन गावउँ॥
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
कवित विवेक एक नहिं मोरे,
सत्य कहउँ लिखि कागद कोरे।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
जेहि दिन राम जनम श्रुति गावहिं,
तीरथ सकल तहाँ चलि आवहिं।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
बरषहिं राम सुजस बर बारी,
मधुर मनोहर मंगलकारी॥
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम, सियाराम जय जय राम।
🌷🌷🌷🌷जय सिया राम!🌷🌷🌷🌷