यह भजन श्री हरि नारायण, जग के पालक और विश्व के स्वामी, को समर्पित है। वे अनंत रूपों में भक्तों के समक्ष प्रकट होते हैं, कभी राम बनकर, कभी कृष्ण बनकर। उनका प्रेम अमृत की धारा-सा बहता है, जो प्यासे हृदय को तृप्त करता है। उनका नाम जपने से मन की सारी व्यथा मिट जाती है। कण-कण में बसे नारायण, हर क्षण उनकी लीला से भरा है। यह भजन उनकी महिमा का गान है, जो भक्तों को प्रभु के चरणों तक ले जाता है।
इस भजन के माध्यम से हम श्री हरि के दिव्य गुणों का स्मरण करते हैं। उनकी कृपा से जीवन का अंधकार दूर होता है, और मन मानसरोवर-सा पवित्र बनता है। यह संगीत कर्म, श्रद्धा और विश्वास का संदेश देता है, जो हर पंक्ति में नारायण के आह्वान से जीवंत होता है। यह भजन आत्मा को शांति प्रदान करता है और प्रभु के प्रति समर्पण को प्रेरित करता है। आइए, श्री हरि के चरणों में मन रमाकर, उनके आशीर्वाद को ग्रहण करें और भक्ति के इस पवित्र पथ पर चलें।

🌸🌹 नारायण मिल जाएगा 🌺💐
हरि चरणों में मन रमे, भक्ति का दीप जलाए,
नाम जपे प्रभु का सदा, हर पल हरि गुण गाए।
प्रेम प्रभु का बरस रहा है, पी ले अमृत, प्यासे,
सातों तीर्थ तेरे अंदर, बाहर क्यों हरि तलाशे?
कण-कण में हरि, क्षण-क्षण में हरि,
मुस्कानों में, अश्रुओं में हरि।
मन की आँखें तूने खोली, तो दर्शन पाएगा,
पता नहीं किस रूप में आकर, नारायण मिल जाएगा।
पता नहीं किस रूप में आकर, नारायण मिल जाएगा।
नियति भेद नहीं करती, जो लेती है, वो देती है,
जो बोएगा, वही काटेगा, ये जग कर्मों की खेती है।
नियति भेद नहीं करती, जो लेती है, वो देती है,
जो बोएगा, वही काटेगा, ये जग कर्मों की खेती है।
यदि कर्म तेरे पावन हैं, नाव ना डूबेगी कभी,
तेरी बाँह थामने को, वो भेस बदलकर आएगा।
पता नहीं किस रूप में आकर, नारायण मिल जाएगा।
पता नहीं किस रूप में आकर, नारायण मिल जाएगा।
नेकी व्यर्थ ना जाती, हरि लेखा-जोखा रखते हैं,
औरों को फूल दे जिसने, उसके भी हाथ महकते हैं।
नेकी व्यर्थ ना जाती, हरि लेखा-जोखा रखते हैं,
औरों को फूल दे जिसने, उसके भी हाथ महकते हैं।
कोई दीप मिले तो बाती बन, किसी का साथी बन,
मन को मानसरोवर कर ले, तो मोती पाएगा।
पता नहीं किस रूप में आकर, नारायण मिल जाएगा।
पता नहीं किस रूप में आकर, नारायण मिल जाएगा।
कान लगाकर सुन ले बातें, सूखे दरख्तों की,
लेता है भगवान परीक्षा, सबसे प्यारे भक्तों की।
एक प्रश्न गहरा है जिसकी, हरि को थाह लगानी है,
तेरी श्रद्धा सोना है, या बस सोने का पानी है?
जो फूल धरे हर डाली पर, विश्वास रख उस माली पर,
तेरे भाग में पत्थर हो, तो पत्थर भी खिल जाएगा।
पता नहीं किस रूप में आकर, नारायण मिल जाएगा।
पता नहीं किस रूप में आकर, नारायण मिल जाएगा।
जय श्री हरि, जय श्री हरि, भक्तों के संकट हरता,
नारायण नाम जपो सदा, प्रभु चरणों में लगता।