श्री राम चंद्र कृपालु भजमन | Shri Ram Ji Ki Aarti Lyrics

Shri Ram Ji Ki Aarti Lyrics: “श्री राम चंद्र कृपालु भजमन” एक अत्यंत लोकप्रिय और भक्तिमय भजन है, जो भगवान श्रीराम की महिमा का गुणगान करता है। इस भजन के माध्यम से भगवान श्रीराम की करुणा, उदारता और उनकी दिव्यता का सुंदर चित्रण होता है। यह भजन गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित है और इसे सुनने से मन को शांति और भक्ति की अनुभूति होती है। इसमें भगवान राम के रूप, सौंदर्य और उनके दिव्य गुणों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है, जिससे श्रद्धालुजन भगवान श्रीराम के प्रति अपनी आस्था और भक्ति को और भी प्रगाढ़ कर सकते हैं।

गोस्वामी तुलसीदास ने 16वीं शताब्दी में श्री रामचरितमानस की रचना अवधी भाषा में की, ताकि आम जनता भगवान राम की कथा और उनके गुणों को समझ सके। “श्री राम चंद्र कृपालु भजमन” भजन श्री राम के प्रति उनकी अटूट भक्ति का प्रतीक है। यह भजन विशेष रूप से राम नवमी, दीपावली और अन्य राम-भक्ति से जुड़े अवसरों पर गाया जाता है।

आइए, इस भजन के साथ भगवान श्रीराम की दिव्य छवि का ध्यान करें और उनके चरणों में अपना मन समर्पित करें। अब एक आकर्षक और रंगीन कार्टून शैली की छवि बनाता हूँ, जिसमें श्रीराम की भक्ति को उजागर किया गया है।

Shree Ram Aarti

🌸🌹श्री राम चंद्र कृपालु भजमन | Shri Ram Ji Ki Aarti Lyrics🌸🌹

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।

भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।

दोहा- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।

🌸🌹बोलो – जय श्रीराम, जय श्रीराम, सीता माता की जय, भगवान राम की जय🌸🌹

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