बजरंगबली: जंगल के नायक | Bajrangbali Ka Bhakt

कर्नाटक के घने जंगल में शेर खान का नाम सुनते ही हर जानवर सहम जाता था। उसकी दहाड़ इतनी भयानक थी कि पेड़-पौधे तक कांप उठते। जंगल में एक अजीब-सा डर हमेशा बना रहता था, और जानवर बस यही सोचते थे कि अगला शिकार कहीं वह न बन जाएं।

जंगल के बीचो-बीच एक हरा-भरा मैदान था, जहां हिरण और हिरनी अपने बच्चों के लिए खाना इकट्ठा कर रहे थे। तभी घनी झाड़ियों से एक परछाई निकली। शेर खान! उसकी आंखों में भूख और चेहरे पर क्रूरता थी।

“तुम दोनों आज मेरे शिकार बनोगे। मेरे बच्चों को भी खाना चाहिए,” शेर खान ने गुर्राते हुए कहा।

हिरण और हिरनी के दिल की धड़कनें तेज हो गईं। दोनों ने एक-दूसरे की ओर देखा और तेज़ी से भागने लगे। शेर खान उनकी ओर झपट पड़ा। जंगल की पगडंडियां, ऊबड़-खाबड़ रास्ते और झाड़ियां सब उनके रास्ते में आए, लेकिन हिरण और हिरनी भागते रहे।

आखिरकार, वे एक बड़ी चट्टान के पीछे छिप गए। शेर खान इधर-उधर सूंघता रहा।

“हिरणी, तुम बच्चों के पास लौट जाओ। उन्हें तुम्हारी जरूरत है। मैं शेर खान को यहीं उलझाऊंगा,” हिरण ने शांत स्वर में कहा।

“नहीं, मैं तुम्हें अकेला छोड़कर नहीं जा सकती,” हिरनी की आंखें नम थीं।

“बच्चों की देखभाल तुम्हें करनी है। जल्दी जाओ!”

आखिरकार, हिरनी वहां से भागी, और शेर खान ने हिरण को पकड़ लिया।

हिरनी अपने बच्चों के पास पहुंची। उसका चेहरा आंसुओं से भीगा हुआ था। बच्चों ने मासूमियत से पूछा, “मां, पिताजी कहां हैं?”

हिरनी ने कांपते हुए कहा, “पिताजी अब कभी वापस नहीं आएंगे। हमें यह जंगल छोड़ देना चाहिए।”

तभी, एक डाल पर बल्लू बंदर कूदकर आया। उसकी आंखों में आत्मविश्वास और होठों पर हल्की मुस्कान थी।

“डरो मत, बहन। जंगल छोड़ना कोई हल नहीं है। हम सब मिलकर इस मुसीबत का हल निकालेंगे,” बल्लू ने कहा।

हिरनी ने जवाब दिया, “लेकिन शेर खान बहुत ताकतवर है। वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा।”

बल्लू ने कहा, “ताकत से बड़ी होती है एकता। अगर हम सब जानवर एक साथ आएं, तो शेर खान का मुकाबला कर सकते हैं।”

बल्लू ने जंगल के सभी जानवरों को इकट्ठा किया। वहां खरगोश, कछुआ, तोता, हाथी, हिरण, और अन्य जानवर आए। जंगल के बीचों-बीच एक बड़ी बैठक हुई।

“सुनो दोस्तों, अगर हम सब एकजुट हो जाएं, तो शेर खान का डर खत्म हो सकता है। हमें उससे बात करनी होगी और एक समझौता करना होगा।”

सभी जानवरों ने बल्लू की बात पर सहमति जताई।

सभा में लोमड़ी भी मौजूद थी। वह स्वभाव से चालाक और स्वार्थी थी। उसने सोचा, “अगर मैंने यह बात शेर खान को बता दी, तो वह मुझ पर कभी हमला नहीं करेगा।”

अगली सुबह, लोमड़ी शेर खान के पास पहुंची।

“महाराज, जंगल के जानवर आपके खिलाफ साजिश कर रहे हैं। वे आपसे एक समझौता करना चाहते हैं ताकि आप सिर्फ बूढ़े और बीमार जानवरों का शिकार करें।”

शेर खान को गुस्सा आ गया। उसकी आंखें लाल हो गईं।

“मैं किसी समझौते को नहीं मानता। जंगल पर राज करना मेरा अधिकार है।”

जब बल्लू और बाकी जानवर शेर खान से बात करने पहुंचे, तो शेर खान पहले से ही गुस्से में था।

“तुम सब मुझसे समझौता करने आए हो? मैं जिसे चाहूंगा, उसे मारूंगा। तुम्हारी योजना मुझे पहले ही पता चल चुकी है!”

बल्लू समझ गया कि यह लोमड़ी का काम है। उसने कहा, “महाराज, किसी ने आपको गलत जानकारी दी है। लेकिन यह भी सच है कि जिसने आपको यह बताया, उसने खुद को सुरक्षित करने के लिए ऐसा किया है।”

शेर खान ने लोमड़ी की तरफ देखा और गुर्राया, “लोमड़ी, क्या यह सच है?”

लोमड़ी हकला उठी, “न-नहीं महाराज, मैंने ऐसा कुछ नहीं किया…”

लेकिन शेर खान समझ चुका था। उसने लोमड़ी पर झपट्टा मारा।

“तुमने मुझसे विश्वासघात किया। तुम्हारी सजा मौत है!”

कुछ ही पलों में लोमड़ी का खेल खत्म हो गया। जंगल के जानवरों ने डरकर यह सब देखा।

शेर खान अब बल्लू की तरफ बढ़ा। बल्लू तेजी से बजरंगबली की मूर्ति के पास गया और प्रार्थना करने लगा, “हे बजरंगबली, मेरी रक्षा करो। जंगल के सभी जानवरों की रक्षा करो।”

अचानक मूर्ति से तेज प्रकाश निकला और बजरंगबली प्रकट हुए।

“शेर खान, तुम्हारा घमंड तुम्हें ले डूबेगा। जंगल सबका है, सिर्फ तुम्हारा नहीं।”

शेर खान ने बजरंगबली को देखा और डरकर पीछे हटने लगा। वह जंगल छोड़कर भाग गया।

बल्लू ने जंगल के जानवरों को इकट्ठा किया और कहा, “देखो दोस्तों, अगर हम डरकर भागते रहते, तो यह जंगल हमेशा शेर खान के आतंक में रहता। लेकिन हमने एकता से इसका सामना किया और जीत हासिल की।”

सभी जानवरों ने तालियां बजाईं और बल्लू को जंगल का नेता घोषित कर दिया। हिरण का परिवार भी सुरक्षित था, और जंगल में फिर से खुशी और शांति लौट आई।

शिक्षा: “एकता में बड़ी ताकत होती है। जब हम मिलकर किसी समस्या का सामना करते हैं, तो कोई भी बाधा हमें हरा नहीं सकती।”

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