श्री राम चालीसा | Shree Ram Chalisa

भगवान श्रीराम, मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में संपूर्ण मानवता के लिए आदर्श हैं। उनका जीवन सत्य, धर्म, करुणा और मर्यादा का अनुपम उदाहरण है। श्रीराम का स्मरण और भक्ति जीवन में संयम, धैर्य और आत्मविश्वास का संचार करती है।

श्री राम चालीसा भगवान श्रीराम की महिमा का वर्णन करने वाली एक पवित्र स्तुति है, जिसमें 40 चौपाइयों के माध्यम से उनके गुणों, पराक्रम और आदर्श जीवन का संपूर्ण चित्रण किया गया है। यह चालीसा न केवल भक्ति का माध्यम है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मिक शांति का स्रोत भी है।

ऐसा विश्वास है कि श्रीराम चालीसा का नित्य पाठ करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं, मन को शांति मिलती है और भक्तों पर भगवान राम की विशेष कृपा बनी रहती है। यह भक्तों को जीवन में संयम, साहस और धैर्य से कठिनाइयों का सामना करने की प्रेरणा देता है।

राम भक्तों के लिए श्री राम चालीसा का पाठ एक ऐसा साधन है, जिससे वे भगवान श्रीराम के आदर्शों और गुणों को आत्मसात कर जीवन को सफल बना सकते हैं।

श्री राम चालीसा का महत्व

श्री राम चालीसा भगवान श्री राम की स्तुति में रचित 40 चौपाइयों का संग्रह है। इसे पढ़ने से भगवान श्री राम की कृपा प्राप्त होती है। यह चालीसा भक्तों को भक्ति, शांति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।

भगवान श्री राम हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण अवतारों में से एक हैं। वे धर्म, मर्यादा और सत्य के प्रतीक हैं। श्री राम चालीसा का पाठ भक्तों को उनके जीवन से जुड़ी शिक्षाओं को आत्मसात करने में मदद करता है।

🌸श्री राम चालीसा 🌸

॥ दोहा ॥

आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्।

वैदेहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्।।

बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्।

पश्चाद् रावण कुंभकर्ण हननम्, ऐतद्धि रामायणम्।।

॥चौपाई॥

श्री रघुवीर भक्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥

निशिदिन ध्यान धरै जो कोई। ता सम भक्त और नहिं होई॥

ध्यान धरे शिवजी मन माहीं। ब्रह्म इन्द्र पार नहिं पाहीं॥

दूत तुम्हार वीर हनुमाना। जासु प्रभाव तिहूं पुर जाना॥

तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला। रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥

तुम अनाथ के नाथ गुंसाई। दीनन के हो सदा सहाई॥

ब्रह्मादिक तव पारन पावैं। सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥

चारिउ वेद भरत हैं साखी। तुम भक्तन की लज्जा राखीं॥

गुण गावत शारद मन माहीं। सुरपति ताको पार न पाहीं॥

नाम तुम्हार लेत जो कोई। ता सम धन्य और नहिं होई॥

राम नाम है अपरम्पारा। चारिहु वेदन जाहि पुकारा॥

गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो। तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो॥

शेष रटत नित नाम तुम्हारा। महि को भार शीश पर धारा॥

फूल समान रहत सो भारा। पाव न कोऊ तुम्हरो पारा॥

भरत नाम तुम्हरो उर धारो। तासों कबहुं न रण में हारो॥

नाम शक्षुहन हृदय प्रकाशा। सुमिरत होत शत्रु कर नाशा॥

लखन तुम्हारे आज्ञाकारी। सदा करत सन्तन रखवारी॥

ताते रण जीते नहिं कोई। युद्घ जुरे यमहूं किन होई॥

महालक्ष्मी धर अवतारा। सब विधि करत पाप को छारा॥

सीता राम पुनीता गायो। भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥

घट सों प्रकट भई सो आई। जाको देखत चन्द्र लजाई॥

सो तुमरे नित पांव पलोटत। नवो निद्घि चरणन में लोटत॥

सिद्घि अठारह मंगलकारी। सो तुम पर जावै बलिहारी॥

औरहु जो अनेक प्रभुताई। सो सीतापति तुमहिं बनाई॥

इच्छा ते कोटिन संसारा। रचत न लागत पल की बारा॥

जो तुम्हे चरणन चित लावै। ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥

जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा। नर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा॥

सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी। सत्य सनातन अन्तर्यामी॥

सत्य भजन तुम्हरो जो गावै। सो निश्चय चारों फल पावै॥

सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं। तुमने भक्तिहिं सब विधि दीन्हीं॥

सुनहु राम तुम तात हमारे। तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे॥

तुमहिं देव कुल देव हमारे। तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥

जो कुछ हो सो तुम ही राजा। जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥

राम आत्मा पोषण हारे। जय जय दशरथ राज दुलारे॥

ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा। नमो नमो जय जगपति भूपा॥

धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा। नाम तुम्हार हरत संतापा॥

सत्य शुध्द देवन मुख गाया। बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥

सत्य सत्य तुम सत्य सनातन। तुम ही हो हमरे तन मन धन॥

याको पाठ करे जो कोई। ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥

आवागमन मिटै तिहि केरा। सत्य वचन माने शिर मेरा॥

और आस मन में जो होई। मनवांछित फल पावे सोई॥

तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै। तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥

साग पत्र सो भोग लगावै। सो नर सकल सिद्घता पावै॥

अन्त समय रघुबरपुर जाई। जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥

श्री हरिदास कहै अरु गावै। सो बैकुण्ठ धाम को पावै॥

॥ दोहा॥

सात दिवस जो नेम कर, पाठ करे चित लाय।

हरिदास हरि कृपा से, अवसि भक्ति को पाय॥

राम चालीसा जो पढ़े, राम चरण चित लाय।

जो इच्छा मन में करै, सकल सिद्घ हो जाय॥

।।इतिश्री प्रभु श्रीराम चालीसा समाप्त:।।

🌸 जय श्री राम! 🌸

🌷 श्री राम चालीसा के लाभ

  1. मानसिक शांति: इसका नियमित पाठ मानसिक तनाव को दूर करता है और मन को शांति प्रदान करता है।
  2. धार्मिक लाभ: भगवान श्री राम के प्रति भक्ति और समर्पण को बढ़ाता है।
  3. संकटों का नाश: जीवन में आने वाली कठिनाइयों और समस्याओं को दूर करता है।
  4. सकारात्मक ऊर्जा: घर और जीवन में सकारात्मकता का संचार करता है।
  5. धैर्य और साहस: यह भक्तों को साहस और धैर्य प्रदान करता है।

🔱 श्री राम चालीसा का पाठ करने की विधि

  1. स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल पर श्री राम की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. दीपक और अगरबत्ती जलाकर भगवान की आराधना करें।
  4. शुद्ध मन से श्री राम चालीसा का पाठ करें।
  5. पाठ के बाद भगवान की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।

श्री राम चालीसा से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

श्री राम चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?

सुबह या शाम के समय पूजा स्थल पर शांत मन से पाठ करना शुभ होता है।

क्या श्री राम चालीसा का पाठ रोज़ किया जा सकता है?

हाँ, इसका नियमित पाठ मानसिक शांति और भगवान राम की कृपा प्राप्त करने के लिए लाभकारी है।

क्या श्री राम चालीसा का पाठ केवल विशेष अवसरों पर किया जा सकता है?

नहीं, इसे किसी भी दिन, किसी भी समय पढ़ा जा सकता है।

श्री राम चालीसा से क्या लाभ होते हैं?

यह पाठ जीवन के संकटों को दूर करता है, आत्मविश्वास बढ़ाता है और जीवन में सकारात्मकता लाता है।

श्री राम चालीसा का पाठ कैसे करें?

शांत मन से भगवान श्री राम की आराधना कर, दीपक जलाकर इसका पाठ करें।

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