शिव चालीसा | Shiva Chalisa

Shiva Chalisa: शिव चालीसा भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्ध भक्तिमय स्तोत्र है, जिसमें भगवान शिव की महिमा, शक्ति और उनके दिव्य स्वरूप का सुंदर वर्णन किया गया है। “चालीसा” का अर्थ होता है चालीस, अर्थात् इसमें कुल 40 छंद होते हैं। इसे श्रद्धा और भक्ति भाव से पढ़ने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।

शिव चालीसा का इतिहास और रचना

शिव चालीसा की रचना महान कवि गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। तुलसीदास जी ने भगवान राम की स्तुति में रामचरितमानस जैसे ग्रंथ की रचना की, वहीं उन्होंने भगवान शिव की भक्ति में भी कई स्तोत्र और चालीसा की रचना की।

शिव चालीसा सरल और प्रभावशाली शब्दों में रचा गया है, जिससे हर कोई इसे आसानी से पढ़ सकता है।

🕉️ शिव चालीसा 🕉️

।।दोहा।।

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

॥ चालीसा ॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

॥दोहा॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ 

🙏 हर हर महादेव! 🙏

शिव चालीसा से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

शिव चालीसा क्या है?

शिव चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान शिव की महिमा का गुणगान करता है। इसमें भगवान शिव के रूप, स्वभाव और उनके दिव्य कार्यों का उल्लेख किया गया है। शिव चालीसा का पाठ भक्तों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सफलता प्रदान करता है।

शिव चालीसा की रचना किसने की थी?

शिव चालीसा की रचना महान कवि गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। तुलसीदास जी ने भगवान राम के लिए रामचरितमानस की रचना की, और भगवान शिव की भक्ति में भी उन्होंने कई भक्तिपूर्ण रचनाएँ कीं। शिव चालीसा सरल और प्रभावशाली शब्दों में लिखा गया है, जिससे इसे सभी उम्र के लोग आसानी से पढ़ सकते हैं।

शिव चालीसा का पाठ क्यों करना चाहिए?

शिव चालीसा का नियमित पाठ करने से मन की एकाग्रता बढ़ती है और मानसिक शांति मिलती है। भगवान शिव के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का यह एक सरल और प्रभावशाली माध्यम है। ऐसा विश्वास है कि शिव चालीसा का पाठ करने से जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं और घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

शिव चालीसा का पाठ कैसे करें?

शिव चालीसा का पाठ करने के लिए भक्तों को प्रातः या संध्या के समय स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए। भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग के समक्ष दीपक जलाकर, बेलपत्र, धतूरा और गंगाजल अर्पित करते हुए पूरे मन से शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए। विशेष रूप से सोमवार और महाशिवरात्रि के दिन इसका पाठ करने का विशेष महत्व है।

शिव चालीसा से क्या लाभ होते हैं?

मानसिक शांति और आत्मिक बल की प्राप्ति
जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति
घर में सुख-शांति और समृद्धि
आध्यात्मिक उन्नति और सकारात्मक ऊर्जा

शिव चालीसा का पाठ कब और कितनी बार करना चाहिए?

भक्तजन शिव चालीसा का पाठ प्रतिदिन कर सकते हैं, लेकिन विशेष रूप से सोमवार और महाशिवरात्रि के दिन इसका पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। संकट या जीवन में किसी विशेष इच्छा पूर्ति के लिए भी शिव चालीसा का नियमित पाठ लाभकारी होता है।

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