भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभ कार्यों के आरंभकर्ता के रूप में पूजा जाता है। वे सभी समस्याओं का निवारण करते हैं और भक्तों को जीवन में सफलता, समृद्धि और सुख प्रदान करते हैं।
गणेश चालीसा 40 चौपाइयों का एक दिव्य संग्रह है, जो भगवान गणेश के अद्भुत रूपों, शक्तियों और कृपाओं का वर्णन करता है। इसका पाठ करने से मानसिक शांति, आत्मबल और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
श्री गणेश चालीसा का आध्यात्मिक महत्व
गणेश चालीसा का पाठ भक्तों को भगवान गणेश के साथ गहरा आध्यात्मिक संबंध स्थापित करने में मदद करता है। यह मन, बुद्धि और आत्मा को शुद्ध करता है और व्यक्ति को उनके जीवन की कठिनाइयों का समाधान प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है।

🌸 श्री गणेश चालीसा 🌸
दोहा
जय गणपति सद्गुण सदन कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण जय जय गिरिजालाल॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति राजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥
जय गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्धि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजित मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित॥
धनि शिवसुवन षडानन भ्राता। गौरी ललन विश्व-विधाता॥
ऋद्धि सिद्धि तव चँवर डुलावे। मूषक वाहन सोहत द्वारे॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी। अति शुचि पावन मंगल कारी॥
एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रूपा।
अतिथि जानि कै गौरी सुखारी। बहु विधि सेवा करी तुम्हारी॥
अति प्रसन्न ह्वै तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
मिलहि पुत्र तुहि बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण यहि काला॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम रूप भगवाना॥
अस कहि अन्तर्धान रूप ह्वै। पलना पर बालक स्वरूप ह्वै॥
बनि शिशु रुदन जबहि तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥
सकल मगन सुख मंगल गावहिं। नभ ते सुरन सुमन वर्षावहिं॥
शम्भु उमा बहुदान लुटावहिं। सुर मुनि जन सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आए शनि राजा॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं। बालक देखन चाहत नाहीं॥
गिरजा कछु मन भेद बढ़ायो। उत्सव मोर न शनि तुहि भायो॥
कहन लगे शनि मन सकुचाई। का करिहौ शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास उमा कर भयऊ। शनि सों बालक देखन कह्यऊ॥
पड़तहिं शनि दृग कोण प्रकाशा। बालक शिर उड़ि गयो आकाशा॥
गिरजा गिरीं विकल ह्वै धरणी। सो दुख दशा गयो नहिं वरणी॥
हाहाकार मच्यो कैलाशा। शनि कीन्ह्यों लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाए। काटि चक्र सो गज शिर लाए॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण मन्त्र पढ़ शंकर डारयो॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्धि निधि वर दीन्हे॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी की प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन भरमि भुलाई। रची बैठ तुम बुद्धि उपाई॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे। नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई। शेष सहस मुख सकै न गाई॥
मैं मति हीन मलीन दुखारी। करहुँ कौन बिधि विनय तुम्हारी॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। लख प्रयाग ककरा दुर्वासा॥
अब प्रभु दया दीन पर कीजै। अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥
दोहा
श्री गणेश यह चालीसा पाठ करें धर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै लहे जगत सन्मान॥
सम्वत् अपन सहस्र दश ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश॥
🌸 गणपति बप्पा मोरया! 🌸
श्री गणेश चालीसा पाठ की विधि
श्री गणेश चालीसा का पाठ करने से पहले भक्तों को विशेष तैयारी करनी चाहिए। यह न केवल एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, बल्कि भक्त और भगवान गणेश के बीच एक गहरा संबंध स्थापित करने का माध्यम भी है।
- स्नान और शुद्धता: प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल की तैयारी: भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र को साफ करें और पूजा स्थल पर दीप जलाएं।
- पुष्प और नैवेद्य अर्पण: भगवान गणेश को उनके प्रिय मोदक, फल और पुष्प अर्पित करें।
- शुद्ध मन से पाठ करें: ध्यान और समर्पण के साथ चालीसा का पाठ करें।
- आरती और प्रसाद वितरण: पाठ समाप्त करने के बाद गणेश आरती गाएं और प्रसाद वितरित करें।
श्री गणेश चालीसा से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
गणेश चालीसा क्या है?
गणेश चालीसा भगवान गणेश की महिमा का वर्णन करने वाली 40 चौपाइयों का एक पवित्र पाठ है। इसे पढ़ने से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
गणेश चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
गणेश चालीसा का पाठ प्रातः स्नान के बाद या शाम को पूजा स्थल पर शांत मन से करना सबसे शुभ होता है। विशेष रूप से गणेश चतुर्थी, बुधवार, और अन्य शुभ अवसरों पर इसका पाठ करना लाभकारी माना जाता है।
गणेश चालीसा के पाठ से होने वाले लाभ
गणेश चालीसा का पाठ जीवन में सकारात्मकता और शांति का संचार करता है। यह माना जाता है कि भगवान गणेश की कृपा से जीवन की सभी बाधाएँ और कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं। इसका नियमित पाठ मानसिक शांति प्रदान करता है और आत्मबल को मजबूत करता है। आर्थिक समृद्धि और सफलता के इच्छुक लोगों के लिए यह अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा, घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। भक्तों को विश्वास है कि गणेश चालीसा का पाठ करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
क्या गणेश चालीसा का पाठ रोज़ किया जा सकता है?
हाँ, इसका नियमित पाठ शुभ माना जाता है। यह भक्तों को मानसिक शांति और आत्मविश्वास प्रदान करता है और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का एक सरल मार्ग है।